"जब सर्वहारा विजयी होता है, तो वह समाज का कदाचित निरपेक्ष पहलू नहीं बनता है, क्योंकि वह केवल अपना और अपने विरोधी का उन्मूलन करके ही विजयी होता है. तब सर्वहारा लुप्त हो जाता है और साथ ही उसके विरोधी का, स्वयं निजी सम्पति का भी, जो उसे जन्म देती है, लोप हो जाता है.."
Saturday, September 13, 2014
बायोमेट्रिक अटेंडेंस और मज़दूरों की टोपियों में जी.पी.आर.एस. लगाने के खिलाफ संघर्ष जारी
कल (12.08.14) झांझरा में हुआ मज़दूरों का आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन
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