Sunday, July 6, 2014

"गरम रोला मज़दूर आंदोलन" और हमारा रवैया

"गरम रोला मज़दूर आंदोलन" भारत के मज़दूर वर्ग के आंदोलन का एक हिस्सा है. हम मानते हैं कि इसके समर्थन में खड़ा होना तमाम मज़दूर वर्गीय ताकतों का फौरी कर्तव्य है. इसके नेतृत्व में आज़ कौन, वह किस तरह का व्यवहार कर रहा है, या वह किसी और को इस आंदोलन में शामिल कर रहा है या नहीं, वह संयुक्त आंदोलन के प्रति ज़िम्मेवार और गंभीर है या नहीं ...इन मुद्दों को मज़दूर आंदोलन के समर्थन में खड़ा होनेे में बाधा बना लेने का मतलब है कि एक तरह की गुटीय करवाई के विरुद्ध एक और दूसरे तरह की गुटीय कार्रवाई में उतर जाना और मज़दूर आंदोलन के दूरगामी हितों की अनदेखी कर देना. अगर किसी संगठन की कमियों को उजागर भी करना है, उनका पर्दाफाश करना है और/या उन्हें दुरुस्त करना है, तो इसके लिए भी ज़रूरी है कि इसमें समस्त मज़दूर आंदोलन के दूरगामी हितों और उसके उच्चतर लक्ष्यों को सामने लाते हुए गैर-गुटीय तौर पर अंदर और बाहर दोनो तरफ से, जैसा मौका हो, हस्तक्षेप करना चाहिए.......आख़िर एक वाज़िब मज़दूर आंदोलन के समर्थन से हम अपना मुँह कैसे मोड़ सकते हैं? गरम रोला के वर्तमान नेतृत्व ने अगर दिल्ली में इस आंदोलन में और दूसरे संगठनों को शामिल नहीं किया, तो भी आंदोलन के समर्थन में खड़ा होने की ज़रूरत है, यह सोचना कि चलो आंदोलन मार खा जाए तो अच्छा है, तभी इन्हें पता चलेगा और हेंकड़ी निकलेगी, तो हमें यह प्रतीत होता है कि यह भी एक तरह की गुटीय सोच का परिचायक ही है. इसे अंततः एक गुटीय कार्रवाई के खिलाफ एक गुटीय प्रतिक्रिया ही कहा जाएगा. इससे आंदोलन को अंततः कोई फ़ायदा नहीं होता है और न ही हम आंदोलन में मौज़ूद ग़लत प्रवृतियों का ही पर्दाफाश कर पाते है, उल्टे, मज़दूरों व मज़दूर आंदोलन के अंदर व्याप्त गुटीय मानसिकता को ही हम और मज़बूती प्रदान किए देते हैं
हम सभी मज़दूर वर्गीय ताकतों से इस (उपरोक्त) बात पर गंभीरता से विचार करने की अपील करते है और साथ ही गरम रोला मज़दूर आंदोलन में लगे मज़दूरों और उनके नेताओं से भी अपील करते हैं कि दूसरों (अन्य संगठनों) के पर्ति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएँ और शालीन होना सीखें.यह उनके लिए और आंदोलन के लिए श्रेयस्कर ही नहीं ज़रूरी है, अन्यथा अंततः इसका खामियाज़ा उन्हें ही उठाना पड़ेगा..आंदोलन के साथ जो हो रहा है वह तो हो ही रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि साथीगण हमारी सलाह और सदिच्छा को यथोचित कम्युनिस्ट भावना के साथ लेंगे...

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