Saturday, August 8, 2015

सर्वहारा न्‍यू सिरीज न. 5 में प्रकाशित होने के लिए

बजाज साहब के मुँह से निकली पूँजीपति वर्ग की आह.....   
काश! उनका ''सम्राट'' पूरा देश उन्‍हें समर्पित कर देता!

पी.एम. मोदी की चुनावी जीत का हवाला देते हुए बजाज ने कहा - ''27 मई, 2014 को हमें एक सम्राट मिला था। दुनिया के बहुत कम ऐसे देश हैं जहाँ पिछले 20 से 30 सालों के इतिहास में ऐसी सफलता मिली हो। मैं इस सरकार के विरुद्ध नहीं हूं। लेकिन, सच्चाई यही है कि चमक फीकी पड़ती जा रही है।' (इकोनॉमिक टाइम्स, 7 अगस्त 2015 )

उन्होंने यह भी कहा कि ''वे वही कह रहे हैं जो हर आदमी बोल रहा है।'' चलिए देखते हैं, वह हर आमदी कौन है जिसकी बोल बजाज साहब बोल रहे हैं।

अब जरा यह सुनिये कि उनकी नजर में ''सम्राट'' नरेंद्र मोदी की चमक फीकी क्यों पड़ रही है। ब्लैक मनी पर सरकार की ओर से तीन महीने का कम्प्लायंस पीरियड तय करने पर बजाज ने कहा कि ''बिजनस कम्यूनिटी इस बात को लेकर चिंतित है कि सरकार ने ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया है कि काला धन डिक्लेयर करने वाले को भविष्य में मुकदमेबाजी नहीं झेलनी होगी।'' उन्होंने आगे कहा - ''मैं इसे (काले धन को) सार्वजनिक कर दूँ और आप कह दें कि यह अवैध डिक्लेरेशन है। अगर ऐसा है तो मैं डिक्लेयर नहीं कर सकता।''
तो सुन लिया क्यों दुःखी हैं बजाज साहब? वे इसलिए दुःखी हैं क्योंकि कर चोरों की यह तमन्ना पूरी नहीं हो रही है कि सरकार यह गारंटी दे कि उन पर भविष्‍य में कोई मुकदमेबाजी नहीं होगी। तो इनके लिए समस्‍या यह खड़ी हो गई है कि कर चोरों और देश की संपदा के लुटेरों को सरकार पूरी तरह मदद क्यों नहीं कर रही है! वे चाहते हैं कि सरकार काले धन को सफेद करने में चोरों की सुरक्षा इसके लिए मुफीद कानून बनाए।

क्या खूब बात कही है बजाज साहब ने! लेकिन जनाब, आम जन इसके उलट इस बात के लिए नरेंद्र मोदी से निराश हैं कि वे काले धन रखने वालों को सज़ा देने के बदले मदद क्यों कर रहे हैं। इसलिए आप वही नहीं कर रहे हैं जो आम जनता या हर कोई कह रहा है। हर कोई में आम जनता भी है जिसका हित सदैव आपके जैसों के हितों के विपरीत है। इसलिए आपके बोल और उसके बोल में भी सदैव वही खाई बना रहेगी, जो आप दोनों की हैसियत के बीच में है। क्यों! ठीक कहा न, बजाज साहब?   

बजाज साहब कहते हैं – ''सरकार को काले धन की घोषणा के मामलों को करीब से मॉनिटर करना चाहिए।'' वाह, कितनी अच्छी सोच है! लेकिन सुनिए, किसलिए मॉनिटर करना चाहिए? बजाब साहब कहते हैं, इसलिए ''ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि टैक्स अधिकारी किसी को (काले धन रखने वालों को) प्रताड़ित नहीं कर सकें।'' हाँ भाई, प्रताड़ना सहने का एकाधिकार तो सिर्फ आम जनता को है जिसे मामूली से मामूली अपराध के लिए बर्षों तक जेलों में सड़ाया जाता है।

और क्योंकि नरेंद्र मोदी बिल्कुल वैसा ही नहीं कर रहे हैं जैसा बजाज साहब चाहते हैं, इसलिए वे कहते हैं – ''यह नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं है।''

लेकिन चलिए, और दूसरी जरूरी बातें आपसे कर लूँ, वह भी जल्दी-जल्दी। बजाज साहब! आपने बिल्कुल सही कहा है कि नरेंद्र मोदी ''सम्राट'' हैं। वह आपके ही नहीं पूरे पूँजीपति वर्ग के ''सम्राट'' हैं। आपके ''सम्राट'' बन कर ही तो वे सत्ता में आए थे। स्वयं नरेंद्र मोदी चाहे जितना मन हो अपने को जनता का प्रधानसेवक कह लें, लेकिन समझदार लोग तब भी कहते रहे कि ये पूँजीपतियों के सेवक हैं, उनके दिलों के सम्राट हैं। भला हो आपका, आपने ये बोल बोलकर साबित कर दिया कि दुनिया में और लोग भी समझदार हैं। आप सब ने उन्हें रूपयों-पैसों से ही नहीं हर तरीके से समर्थन देकर उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। वोट जनता ने जरूर दिया, लेकिन वो सब तो जनतंत्र में चलता रहता है। मोदी को जनता के दिल में बिठाने में तो आपका ही योगदान था यह तो सभी जानते हैं। अरबों रूपये फूँक कर आपने अत्याधुनिक तकनीक से उनके सीने को 56 इंच का सीना बनाया, उन्‍हें महामानव और सुपरमैन जैसा रूप दिया जो चुटकियों में हिमालय उठा सकता है। आपका दुःख एकदम जायज है। आपने बिल्कुल ठीक कहा नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी नहीं रहे। सम्राट सम्राट नहीं रहा। दोस्त दोस्त ना रहा।

लेकिन सच बात कहूँ बजाज साहब, नरेंद्र मोदी वैसा ही करना चाहते हैं जो आप चाहते हैं। वे वह सब कुछ कर रहे हैं जो आप लोग उनसे करवाना चाहते हैं। अरे, वे तो आपके लिए जनतंत्र तक को, संसद तक को, जिस पर वे मत्था टेका करते है, को कुचल रहे हैं। इसे अंदर से पलीता लगा रहे हैं, अंदर ही अंदर इसे फासीवादी तंत्र में तब्दील कर रहे हैं, ताकि आज जो बाधा खड़ी हो रही है आपके मंसूबों को पूरा करने में, वे कल ना रहें। ताकि आज जनता द्वारा ''रिजेक्ट'' किए जाने का जो खतरा है, कल यह खतरा भी न रहे। ताकि कल वे सच में सम्राट बन सकें, जैसा कि आप चाहते हैं। हम समझ सकते हैं कि आप कितने दुःखी और आहत हैं यह देखकर कि वे आपके मनमाफिक लैंड बिल संसद से पास नहीं करवा पाये, मजदूर हितों पर एकदम से रॉलर चलाने वाले कानून अभी तक नहीं पास करवा पा सके, देश की पूरी संपदा आप लोगों के नाम कर देने की कोशिश क्या इस पर पहल भी वे अभी तक नहीं कर पाये हैं वगैरह वगैरह.....

लेकिन बजाज साहब, यह सब तो उनकी मजबूरी है। देश और देश की जनता पर अभी भी फासीवाद की पूर्ण विजय जो नहीं हुई है! उनका बस चलता तो वे झट फासीवाद लाद देते और आप लोगों को कहने के पहले ही पूरा देश प्लेट पर सज़ा के आपके चरणों में अर्पित कर देते। लेकिन वे भी क्या करें, बेचारे बहुत कोशिश कर रहे हैं। इतिहास और विचारधारा बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों को उग्र राष्‍ट्रवाद और फासीवाद की घुट्टी पिला रहे हैं, विज्ञान की रोशनी को मिथकों की धुंध से ढंकने की कोशिश कर रहे है, हजारों तरीके लगाकर जनता का ध्यान रोजी-रोटी से हटाना चाहते हैं1 आप चाहेंगे तो वे और 'कुछ और' भी करने के लिए तैयार रहेंगे, अपने सहयोगी संगठनों और लोगों को यहाँ की आवोहवा को जहरीला बनाने के लिए खुला छ़ुट्टा छोड़ देंगे... लेकिन जनता है कि मानती ही नहीं। अब दूसरी जनता वे कहाँ से लाएं, यह समस्या है? कुछ दिनों बाद फिर से इस जनता का ध्यान रोजी रोटी और अपने बच्चों के भविष्य की और मूड़़ जाता है, और तब वह माँग करने लगती है कि पूँजीपतियों के काले धन का क्या हुआ, महँगाई कम करने के वायदे का क्या हुआ, संसद पर सबसे पहले गरीबों के हक के वायदे का क्या हुआ, रोजगार का क्या हुआ, हमारे इलाज की व्यवस्था का क्या हुआ, हमारी जमीनों का क्या हुआ, वगैरह वगैरह... और यही 'मूर्ख' दिखने वाली जनता एकाएक फूँफकारती है तो बस समझ लीजिए कि क्या हो सकता है! इसकी एक मुकम्मल फूँफकार से लैंड बिल पर नरेंद्र मोदी के होश ठिकाने पर आ गए हैं, आपने देखा है न?        
  
इसीलिए बजाज साहब! अंत में हम आपको और आपके जैसे तमाम लोगों को आगाह करना भी जरूरी समझते  हैं कि अब ''सम्राट'' वगैरह बनने और बनाने के दिन लौट कर नहीं आएंगे। ये तो समझिए जनता अभी नींद में सोई हुई है, नहीं तो आपके पीछे ही पीड़ जाती। देखते नहीं हैं, बेचारे नरेंद्र मोदी जी, जो शानो शौकत और हाव-भाव में एक सम्राट से कम नहीं दिखते हैं, उनको भी कितना मन मसोस कर अपने को जनता का प्रधान सेवक कहना पड़ता है। आप भी नरेंद्र मोदी से जनता को भरमाने का गुर सीखिए। सम्राटशाही का आज की आम शोषित-पीडित मेहनतकश जनता, और खासकर मजदूर वर्ग, जान देकर विरोध करेगा। क्या आप इतना भी नहीं समझते हैं कि यह नींद में सोया हुआ शेर है और अगर यह जाग गया तो आपकी पूँजीशाही का उखाड़ फेंकेगा। आप से बेहतर और कौन जानता है कि आप लोगों के पास जो धन है सब उसी का पैदा किया हुआ है। नई सभ्यता में उसके खून और श्रम की गंध है आप उसे छुपा नहीं सकते। बस उसे नींद में रहने दीजिए, छेड़ि‍ए मत। आपके बोल से वह जाग जा सकता है इसका खतरा है। इसलिए जरा संभल के रहिए और बोलिए।

हालांकि आप मानिएगा नहींलूट की आपकी हवस इतनी तीव्र है कि उसे केहुनिया के जगा ही दीजिएगा। और लूट की यह हवस भी तो स्वाभाविक है बजाज साहब। देखा जाए तो आप इसके दोषी बस इसलिए हैं कि आप पूँजी के इंतजामकर्ता हैं और एत्रमात्र इसी अर्थ में पूँजीपति पूँजीपति होता है। आप पूँजी की सेवा में दिन रात लगे रहते हैं। पूँजी के सापेक्ष आप भी स्वतंत्र नहीं है, हमें पता है। आप पूँजी की सेवा में स्वयं ठूँठ हुए जा रहे हैं। रातों को नींद नहीं, दिन का चैन नहीं। पूँजी का अनंत पेट भरने के लिए आपलोग कहाँ-कहाँ की ठोकर नहीं खाते हैं। पूँजी का चरित्र ही ऐसा है कि वह केंद्रीकरण चाहती है। एक ही हाथ में सिमटने के लिए वह दिन रता मचलती रहती है। इसीलिए तो पूँजीपति अच्छा या बुरा नहीं होता है, बस पूँजी का मूर्तिवान रूप होता है, पूँजी का रोबोट जैसा गुलाम होता है। आप सभी यही तो हैं ... पूँजी की गुलामी के एक छोर पर आप स्वयं हैं, बाकी मेहनतकश जनता दूसरी छोर पर है .... बस यही तो फर्क है           

अरे साहब, देखिए मैं भी कहाँ-कहाँ विचरण करने लगता हूँ। लेकिन चलिए, बात निकली है तो अंत में एक और सच आपको बताते चलूँ। आप या आप जैसे लोगों के दिल में कहीं न कहीं फंसा पड़ा सबसे बड़ा भ्रम शायद यह है कि आप जैसे लोगों का साम्राज्य हमेशा के लिए बना रहेगा, कि आपका राज चिरस्थाई है। मैं बड़े विनम्र ढंग से कहना चाहता हूँ कि आप भ्रम में न रहें। इतिहास के ज्ञान के बल पर हम पूरी निश्चिंतता से कह सकते हैं कि आपके पूँजीपति वर्ग का और आपके ''सम्राट'' श्री नरेंद्र मोदी का वैसा ही हस्र होगा जैसा कि इतिहास में हर उस व्यक्ति और वर्ग का हुआ है जो इतिहास के चक्के को पीछे की और घुमाना चाहता है। हिटलर, जो जर्मन बड़े पूँजीपतियों का ''सम्राट'' था, एकमात्र अकेला उदाहरण नहीं है। इतिहास की गति का ज्ञान हमें बताता है कि जनतंत्र मानवजाति के द्वारा अपनी बेहतरी के लिए लड़ी गई ऐतिहासिक लड़ाई का फल है और मानवजाति की यही लड़ाई, जो आज भी जारी है, इस जनतंत्र को भी और आगे शोषणविहीन समाज तक ले के जाएगी। जहाँ तक मेरा ज्ञान है, मुझे अहसास होता है कि कोई इस लड़ाई को हमेशा के लिए रोक नहीं सकता है, न तो आप और न ही आपका कोई सम्राट, क्‍योंकि। यह इतिहास की गति से बंधी लड़ाई है, उसकी का हिस्‍सा है। आपकी आह का इतिहास की गति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। 

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