मोदी-आर.एस.एस.-भाजपा ब्रांड की जीत और आगे का रास्ता
आरएसएस- भाजपा- मोदी ब्रांड फासीवादियों को मिली प्रचंड विजय का बहादुरी से सामना करें, जल्द ही फासीवादियों के झूठे वादों की कलई खुलेगी और देश जनांदालनों की राह पर होगा. आगामी संघर्षों व फासीवाद विरोधी राजनीतिक अभियानों की तैयारी में लगें
आरएसएस- भाजपा- मोदी ब्रांड फासीवादियों को मिली प्रचंड विजय का बहादुरी से सामना करें, जल्द ही फासीवादियों के झूठे वादों की कलई खुलेगी और देश जनांदालनों की राह पर होगा. आगामी संघर्षों व फासीवाद विरोधी राजनीतिक अभियानों की तैयारी में लगें
हमारी पार्टी फिर दुहराती है, अपना पूरा काला फन फैलाने के लिए बेकरार ज़हरीले फासीवाद को परास्त और पराजित करने के लिए सर्वहाराओं व मेहनतकश अवाम की एकजुट ताक़त को जगाने का, उनकी खंड-खंड विखंडित अगुआ ताकतों को क्रांतिकारी कार्यक्रम के आधार पर संगठित करने का और सीधे संघर्ष व लड़ाई के मैदान से तमाम वास्तविक फासीवाद विरोधी शक्तियों को आगामी महाअभियानों के लिए आह्वान करने का रास्ता ही एकमात्र रास्ता है. आज़ की परिस्थिति में इससे मुँह मोडने वाले या तो कुपमांडूक नौसिखुआ हैं या फिर जनता के गाढ़े वक्त में पूंछ दवाकर भागने की तैयारी करने वाले लाचार डरपोक भगोड़े ....
हाँ, एक बात और. मोदी और ममता की आँधी ने समुचे पार्लियामेंटरी लेफ्ट (सीपीआई-सीपीएम व अन्य) को सीटों की संख्या के तौर पर भले ही ध्वस्त कर दिया है, लेकिन हमारे प्यारे नादान संसदीय वाम का टिपिकल सोशल डेमॉक्रेटिक प्रोग्राम जस का तस सौ फीसदी बचा है और जारी है. उसे हमे और आपको मिलकर ही परास्त और पराजित करना होगा. दहाड़ मार मार कर छाती पीटने वाले संसदीय वाम के ईमानदार साथियों से पूछना चाहिए - क्या अब भी संसदीय वाम के अवसरवाद, सुविधवाद और संशोधनवाद सरीखे कीचड़ से नही निकलेंगें आप? मित्रों! हाथोंं में सोशल डेमॉक्रेटिक कार्यक्रम से लदे-फदे संसदीए वाम का लाल झंडा लिए साथियों से पूछना चाहिए - इसका अहसास हुआ है या अभी और बर्बादियों तथा कुर्बानियों का इंतज़ार व दरकार है ?
हाँ, एक बात और. मोदी और ममता की आँधी ने समुचे पार्लियामेंटरी लेफ्ट (सीपीआई-सीपीएम व अन्य) को सीटों की संख्या के तौर पर भले ही ध्वस्त कर दिया है, लेकिन हमारे प्यारे नादान संसदीय वाम का टिपिकल सोशल डेमॉक्रेटिक प्रोग्राम जस का तस सौ फीसदी बचा है और जारी है. उसे हमे और आपको मिलकर ही परास्त और पराजित करना होगा. दहाड़ मार मार कर छाती पीटने वाले संसदीय वाम के ईमानदार साथियों से पूछना चाहिए - क्या अब भी संसदीय वाम के अवसरवाद, सुविधवाद और संशोधनवाद सरीखे कीचड़ से नही निकलेंगें आप? मित्रों! हाथोंं में सोशल डेमॉक्रेटिक कार्यक्रम से लदे-फदे संसदीए वाम का लाल झंडा लिए साथियों से पूछना चाहिए - इसका अहसास हुआ है या अभी और बर्बादियों तथा कुर्बानियों का इंतज़ार व दरकार है ?
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